रक्तचाप दो तरह का होता है - निम्न रक्तचाप और उच्च रक्तचाप । यहां क्रमश : दोनों के संदर्भ में बताया जा रहा है ।
* 50 ग्राम देशी चना , 20 - 25 दाने किशमिश को रात में किसी पात्र में भिगो दें । प्रात : उठकर इनका सेवन कर वही पानी पी लें
* नवजीवन रस 125 मि . ग्रा . , 125 मि . ग्रा . प्रभाकरवटी , 200 मि . ग्रा . मुक्ता पंचामृत ( यह एक मात्रा ) है । इस प्रकार की दो मात्राएं सुबह - शाम 21 दिन तक दूध या शहद के साथ लेते रहें कब्ज न होने दें ।
* निम्न रक्तचाप को सामान्य करने के लिए शहद चाटें और ऊपर से नीबू पानी का सेवन करें । रक्त संचार में तेजी आएगी । उच्च रक्तचाप में शहद न चाटें , बस , सिर्फ नीबू मिला पानी पीजिए । रक्त संचार सामान्य हो जाएगा ।
* शुद्ध हींगयुत सब्जी का सेवन करें । पूरे दिन में दो बार मट्ठे का सेवन करें ।
* संतरे व आंवले के रस में स्वादानुसार नमक डालकर पीएं तो दो सप्ताह में लाभ होता है ।
* मूली के रस में सेंधा नमक डालकर पीने से रक्त में गर्मी आती है , रक्ताणु ताकतवर बनते हैं और रक्तचाप सामान्य हो जाता है ।
* सूखी मूली को पीसकर 10 ग्राम शहद के साथ भी ले सकते हैं । यह रक्तचाप को सामान्य बनाने में पूर्णत : सक्षम है । मूली के सूखे सत्व का चूर्ण भी रत्तीभर लेकर शहद के साथ चाट सकते हैं । पालक व मूली का । रस मिलाकर पीने से भी रक्तचाप सामान्य और रक्त पुष्ट होता है ।
* 250 मि . ली . पानी में 20 ग्राम जटामांसी को उबालकर चार भाग कर लें तथा चार समय इसका सेवन करें ।
* सात दिन तक नित्य प्रात : - सायं चुकंदर का रस आधा - आधा गिलास पीएं ।
* 5 बेलपत्र , 10 तुलसी की पत्तियां , 4 कालीमिर्च , 2 लौंग । | इलायची - इन सबको मिलाकर चाय बनाकर पीना चाहिए ।
* बेल के गूदे में असगंध , पीपलामूल , अर्जुन की छाल तीनों का चूर्ण | एक चम्मच भर मिलाकर रोगी को दिन में दो बार देना चाहिए । ।
* प्रतिदिन मालिश करके स्नान करना चाहिए । मांस , मदिरा , नमक आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए । इसके साथ ही करेला , बैंगन सूरन , मूली , मेथी , अरवी , उड़द , चना आदि नहीं खाना चाहिए ।
* एक गिलास गरम पानी में एक नीबू का रस निचोड़कर आधा चम्मच ( छोटा ) शहद मिलाकर सेवन करें । ऐसा दिन में तीन बार करें तो लाभ होगा ।
* उच्च रक्तचाप से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए मूली रोज खाने की आदत बना लें । मूली में नीबू का रस अथवा नमक न मिलाएं , बल्कि नमक का उपयोग तो बिलकुल न करें ।
* लहसुन की कुछ कलियां छीलकर रात्रि में शुद्ध पानी में भिगो दें । तथा प्रात : उनका सेवन कर पानी पी लें ।
* नित्य सुबह - शाम आंवले का मुरब्बा सेवन करें ।
* नीम की दस पत्तियां चबाने या इनका रस पीने से भी लाभ होता है । ॐ नित्य दो सेब पूरे दिन में लें । ।
* गाजर व पालक का एक गिलास रस सुबह - शाम लें ।
* बेल के पत्तों का रस 10 ग्राम तथा सर्पगंधा एक चुटकी - दोनों को मिलाकर दिन में दो बार ( प्रात : - साय ) पानी के साथ लेना चाहिए ।
* मांस , मदिरा , नमक , मिर्च , मसाले , खट्टे पदार्थ , वनस्पति घी , गुड़ , तेल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए । इसके साथ - साथ करेला , बैंगन , सूरन , मूली , मेथी , अरवी , उड़द , चने की दाल आदि भी हानिकारक है ।
* उच्च रक्तचाप के रोगी को मांस - मदिरा , अंडे से परहेज करना चाहिए तथा नमक भी अल्पमात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए ।
* गाजर के 100 ग्राम रस में 50 ग्राम चुकंदर या पालक का रस मिलाकर पीने से रक्ताल्पता दूर होती है ।
* 250 ग्राम गाय के कच्चे दूध में 250 ग्राम गाजर का रस मिलाकर प्रात : - सायं पीना चाहिए । इससे शरीर में रक्त बढ़ता है।
* गाजर की खीर बनाकर रोज सुबह - शाम खानी चाहिए ।
* रक्तपित्त की सर्वोत्तम चिकित्सा यही है कि ऊपर जानेवाले रक्तपित्त में विरेचन दें और अधोगामी रक्तपित्त में वमन कराएं । परंतु यदि रोगी बहुत कमजोर है तो उसे उल्टी न कराकर उचित दवा देनी चाहिए । इसमें गाजर का रस निम्नांकित रूप में दिया जा सकता है।
* 100 ग्राम गाजर का रस , एक चम्मच अडूसे के पत्ते का रस , एक चम्मच शहद मिलाकर देने से रक्त का बहना बंद हो जाता है । * 100 ग्राम गाजर के रस में आधा चम्मच दूब का रस मिलाकर देना चाहिए । इससे रक्तपित्त में काफी लाभ होता है ।
* 100 ग्राम गाजर का रस ,
* 100 ग्राम पेठे का रस , मिश्री 2 तोला तीनों को मिलाकर पीने से लाभ होता है ।
* 100 ग्राम गाजर के रस में एक चम्मच आंवले का रस मिलाकर | पिलाने से रक्तपित्त में शीघ्र ही लाभ होता है । |
* पांच ग्राम अदरक के रस में पांच ग्राम वासा का रस मिला दें । इस | मिश्रित रस को हर रोज सुबह - शाम पांच ग्राम शहद के साथ चाट लें । 20 - 25 बार इस रस के सेवन से शरीर का पीलापन दूर होगा , कमजोरी जाती रहेगी और चेहरे पर लाली छाने लगेगी ।
*रक्त - शुद्धि के लिए अदरक की एक गांठ को पीसकर या कुतर कर या टुकड़ों में काट कर उस पर स्वादानुसार नमक व कालीमिर्च छिड़क दें और ऊपर से आधे नीबू का रस निचोड़ कर खा लें । इस तरह हर रोज सुबह - शाम इस विधि से अदरक खाएंगे तो 20 - 25 दिनों में ही रक्त का शुद्धिकरण हो जाएगा ।
* यदि शरीर में रक्त की अल्पता हो तो मीठे बेदाना अनार का ताजा रस दिन में दो बार 1 - 1 गिलास लें । इस प्रकार 2 - 3 सप्ताह में रक्त की अल्पता दूर होती है ।
* क्षीण रक्तसंचार : पांच ग्राम हींग को भून लें और इसमें 30 ग्राम सुहागा , 20 ग्राम अलुआ और 10 ग्राम उसारा रेवंद मिलाकर पीस लें , फिर इस मिश्रण को अमलतास के गूदे में घोट लें और इसकी छोटी - छोटी गोलियां बना लें । सुबह दोपहर और रात को सोते वक्त 1 - 1 गोली पानी के साथ निगल लें । तीन दिन तक इसके लगातार सेवन करने से थकान दूर हो जाएगी।